वीगनवाद ने सारी हदें पार कर दी हैं

जानवरों को भोजन के रूप में उपयोग करना कई संस्कृतियों में इतनी गहराई से बैठा हुआ है कि इस पर सवाल उठाना भी लोगों को ऐसा लगता है कि इसमें वीगन लोगों ने हदें पार कर दी हैं, लेकिन हम मानते हैं कि जानवरों को मांस के लिए पालना और जानवरों को खाना वास्तव में हद पार करना है सबसे आखरी विकल्प है। और ये कुछ कारण हैं

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, पृथ्वी पर सभी कारों, विमानों, जहाजों, बसों और ट्रेनों से होने वाले प्रदूषण की तुलना में पशुपालन उद्योग जलवायु को खराब करने में सबसे अधिक योगदान देती है। यह वनों की कटाई और प्रजातियों के नुकसान का एक प्रमुख कारण है; यह भूमि और जल को बर्बाद करता है,  हवा, जलमार्ग और मिट्टी को प्रदूषित करता है।

यह उन अरबों जानवरों के लिए भयानक पीड़ा का कारण बनता है जिनका जीवन बिल्कुल भी प्राकृतिक नहीं है। कृत्रिम गर्भाधान, वनों को काटकर उस भूमि पर उगाया जाने वाला चारा, और अंगभंग जैसे जानवरों के पूंछ और सींग काटना, ये सब आधुनिक पशुपालन उद्योग का हिस्सा हैं।

और, वैसे तो हम लोग उन जानवरों के बारे में परवाह करते हैं जिन्हें हम जानते हैं, परन्तु उसके बाद भी हम में से बहुत से लोग पशुपालन उद्योग और वहां होने वाले वध की असलियत से दूर हो जाते हैं क्योंकि हमारे अन्दर इसे देखने की हिम्मत नहीं होती। जिस तरह की प्रतिक्रिया हम पशुपालन उद्योगों की सच्चाई को देख कर देते हैं, क्या यह इस बात को नहीं दर्शाता है कि जानवरों की पीड़ा वाकई कितनी ज़्यादा है?

पशुपालन बेशक जानवरों के लिए बुरी खबर है, लेकिन यह इंसानों के लिए भी बुरा है। पशु आधारित आहार दुनिया की आबादी का पेट नहीं भर सकता जिस वजह से काफी लोग भूखे रह जाते हैं क्योंकि महत्वपूर्ण फसलें इंसानों की जगह पशुपालन उद्योग के जानवरों को खिला दी जाती हैं। और जैसे ही कोई आबादी मांस खाने का फैसला करती है, वैसे ही उन्हें स्वास्थ्य और नियामक पहलों पर काफी ध्यान देना पड़ता है ताकि पशु आधारित आहार से कोई बीमार न पड़े। इसके बाद भी विषाक्त भोजन खाना आम बात है। 1980 और 2016 के बीच जो भोजन से होने वाले बैक्टीरिया प्रकोप रिपोर्ट किए गए थे, उनमें से मछली, डेयरी और मुर्गी खाने वाले लोग सबसे बड़ी संख्या में प्रभावित हुए थे।

अनुसंधान से पता चलता है कि मांस खाने से कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह से पीड़ित होने का खतरा भी बढ़ जाता है, और यह हमारे जीवन काल को भी कम करता है

निष्पक्ष रूप से कहा जाए तो क्या यह सब अतिवादी नहीं लगता?

इसके विपरीत, वनस्पति आधारित आहार पृथ्वी, जानवरों और लोगों के प्रति अच्छा होता है। यह हमारे जलवायु प्रभाव को कम करता है, पृथ्वी के जंगलों, नदियों और महासागरों की बेहतर सुरक्षा करता है, और बड़ी आबादी को खाना खिलाने के लिए पर्याप्त है। और जब हम वनस्पति आधारित आहार खाते हैं, तो हम न केवल पशुपालन उद्योग के जानवरों की पीड़ा को कम कर रहे हैं, बल्कि हम अपने शरीर के प्रति भी करुणा दिखा रहे हैं। वीगन लोगों को हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह और कुछ तरह के कैंसर का खतरा भी कम होता है। अतिवादी होने की बात तो दूर, वनस्पति-आधारित खाना तर्कसिद्ध, समझदारी और दयालुता है।

जहां तक भोजन की बात है, इसमें हद पार कर देने जैसी कोई बात नहीं है, आप सभी व्यंजनों को वीगन बनाकर अभी भी खा सकते हैं। वीगन लोग अभी भी पिज़्ज़ा, स्वादिष्ट करी, बर्गर, बिरयानी, सैंडविच, रोल, और भी बहुत कुछ खा सकते हैं, साथ ही वे सभी मुख्य भोजन भी खा सकते हैं जो शायद आपकी रसोई में पहले से मौजूद हैं!

अतिवादी होने की बात तो बहुत दूर है, आपको पता भी नहीं चलेगा कि आप कुछ अलग खा रहे हैं।


यहां एक छोटा वीडियो दिया है ताकि आप इस बारे में विचार कर पाएं।

हम दूसरों से भेदभाव क्यों करते हैं?
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