हम जो खाना चुनते हैं, वे तुरंत हमारे स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित कर सकते हैं, और जब हम पहली बार वनस्पति-आधारित आहार को अपनाते हैं, तो बहुत से लोग कहते हैं कि उनकी ऊर्जा का स्तर, पाचन, त्वचा, बाल और नींद सभी में सुधार हुआ है।
कुछ लोगों के लिए वनस्पति आहार अपनाना किसी चमत्कार से कम नहीं है क्योंकि उनकी बीमारियाँ जैसे गठिया के लक्षण, क्रोहन रोग (सूजन आंत्र रोग का एक प्रकार), अवसाद, और कई अन्य बीमारियां इस आहार को अपनाने के बाद या तो कम हो जाती हैं या बिल्कुल गायब हो जाती हैं। वीगन भोजन अपनाना जीवन बदल सकता है, लेकिन थोड़े लम्बे समय के बाद ही हमे मालूम चलता है कि जिस आहार का सेवन करने का चुनाव हमने किया था, उससे पड़ने वाले प्रभाव वास्तव में बहुत गहरे और अच्छे हैं।
दिल की बीमारी
हृदय रोग भारत और दुनिया भर में मृत्यु का नंबर एक कारण है। यह आमतौर पर धमनियों की दीवारों पर वसा के जमाव के कारण होता है, जो धमनियों को सिकोड़ देता है और हृदय में रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित कर देता है। पशु उत्पादों में उच्च स्तर के संतृप्त वसा होते हैं जो रक्त में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाकर, हमारे अन्दर इस जानलेवा बीमारी को विकसित करने के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। इसके विपरीत, अधिकांश पौधे संतृप्त वसा में कम होते हैं और इनमें कोई कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है। अब अनुसंधान का एक विशाल निकाय यह दिखा रहा है कि वीगन लोगों में हृदय रोग का खतरा बहुत कम होता है।
कैंसर
फलों और सब्जियों के अपर्याप्त सेवन के कारण, अनुमान है कि लगभग 14% मौतें जठरांत्र कैंसर से होती हैं, लेकिन यह मौतें केवल कम पौधों को खाने की समस्या से नहीं हुई हैं; बल्कि यह समस्या मांस खाने से हुई हैं। 2015 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि सभी संसाधित मांस कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला) हैं। इसमें बेकन (सूअर-मांस), हॉट डॉग, सॉसेज, हैम (सूअर का सुखाया मांस), जर्की(नमकीन मांस), पेपरोनी और सभी मांस-आधारित आहार शामिल हैं। यह भी कहा गया है कि सभी रेड मीट(कोई भी मांस जो स्तनधारी पशुओं से आता है) “शायद कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाला)” हैं। साथ ही, कुछ अध्ययनों ने दूध एवं दूध के उत्पादों को प्रोस्टेट कैंसर(पुरुषों में पाए जाने वाला कैंसर) से जोड़ा है, इसी तरह उन्होंने लैक्टोज असहिष्णुता वाले लोगों में फेफड़े, स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर का खतरा बढ़ता हुआ बताया है। अनुसंधान ने दिखाया है कि वीगन लोग कुछ प्रकार के कैंसर से कम पीड़ित होते हैं।
टाइप 2 मधुमेह
भारत में लगभग 7.5 करोड़ लोगों को मधुमेह है, लगभग ये सभी मधुमेह टाइप 2 हैं। यह संभावित विनाशकारी बीमारी दृष्टि हानि, अंग विच्छेदन और गुर्दे की बीमारी का कारण बन सकती है, और फिर भी अधिकांश लोगों में इस बीमारी को रोका जा सकता, संभाला जा सकता है और यहाँ तक कि पूरी तरह से ख़त्म किया जा सकता है अगर वे लोग अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करते हैं। 14 उपलब्ध अध्ययनों के विश्लेषण में, शोधकर्ताओं ने पाया कि “शाकाहारियों में [मांसाहारी की तुलना में] मधुमेह होने की संभावना 27% कम थी और यह कि “विशेष रूप से वीगन लोगों में अन्य प्रकार के शाकाहारी लोगों की तुलना में मधुमेह की संभावना और भी कम थी।”
हमारे आनुवंशिकी हमारी नियति नहीं हैं
हम अक्सर सोचते हैं कि बीमारियां पीढ़ी- दर -पीढ़ी चलती हैं, जबकि असल में आहार संबंधी आदतें और उनके प्रभाव पीढ़ी- दर -पीढ़ी चलते हैं। यह अच्छी खबर है! इसका मतलब है कि बीमारियां सिर्फ इसलिए अनिवार्य नहीं हैं क्योंकि हमारे माता-पिता और दादा-दादी उनसे पीड़ित हैं। हम अलग-अलग आहार संबंधी निर्णय लेने से ही अपनी “नियति” को बदलने में सक्षम हो सकते हैं।
अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स के अनुसार – “…वीगन आहार स्वास्थ्यवर्धक हैं, पौष्टिक रूप से पर्याप्त होते हैं, और कुछ बीमारियों की रोकथाम और उपचार में स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकते हैं। ये आहार जीवन चक्र के सभी चरणों के लिए उपयुक्त हैं, जिनमें गर्भावस्था, स्तनपान, शैशवावस्था, बचपन, किशोरावस्था, वृद्धावस्था शामिल हैं और यह एथलीटों (खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले व्यक्ति) के लिए उपयुक्त आहार हैं।