गायों को दुहने की ज़रूरत है और हम पहले बछड़ों को दूध पीने देते हैं

सभी स्तनधारियों की तरह, गाय अपने बच्चों के लिए दूध का उत्पादन करती हैं, ना कि हमारे चाय या कॉफी में डालने के लिए। डेयरी फार्मों पर (गौशालाओं), दूध को प्रवाहित रखने के लिए गायों को बार-बार गर्भवती किया जाता है, जबकि उनके बछड़ों को उप-उत्पाद से अधिक नहीं देखा जाता है। यदि हम गायों का कृत्रिम (आर्टिफिशियल) रूप से गर्भाधान नहीं करते हैं, तो वे दूध का उत्पादन नहीं करती हैं, और यदि हम उनके बछड़े को उनसे अलग नहीं करते हैं, तो वे अपनी माँ का दूध पी पाएंगे।

और बछड़ों का क्या? उद्योग वास्तव में उन्हें कभी चाहता ही नहीं था; इसे सिर्फ उनका दूध चाहिए था, तो उन बछड़ों का क्या हुआ? मादाओं को जीवित दुग्ध मशीनों के रूप में पाला और इस्तेमाल किया जा सकता है जब तक वह दूध दे सके। किसान बछिया को भी जबरन गर्भधारण, जन्म, और अपने बच्चे को खोने के चक्र में डाल देते हैं और बछिया का इस्तेमाल तब तक किया जाता है जब तक वह पूरी तरह से टूट नहीं जाती और उसके बाद बूचड़खाने में भेज दिया जाता है। यदि बछड़ा नर है, तो उसे बढ़ने की अनुमति दी जा सकती है और फिर मांस के लिए उसका वध किया जा सकता है, या जैसा कि भारत में अधिक सामान्य है, उसे जन्म से ही भूखा रखा जा सकता है एक धीमी और दर्दनाक मौत के लिए, और फिर उसे ‘बछड़े के चमड़े’ के व्यापार में बेच दिया जाएगा। कुछ मामलों में, अंगों को हटा दिया जाता है और फिर बछड़े के शरीर को घास से भरकर सिल दिया जाता है। यह ‘खाल बच्चा’ तब माँ के पास रखा जाता है ताकि उसे विश्वास हो सके कि उसका बच्चा अभी भी जीवित है इसलिए वह दूध का उत्पादन जारी रखे। प्राकृतिक परिस्थितियों में, अगर गाय को दूध पिलाने के लिए कोई बच्चा नहीं होता तो उसका दूध सूख जाता। उनकी किस्मत जो भी हो, बछड़ों को उनकी मां से ले लिया जाता है ताकि उन्हें अपनी माँ का दूध पीने से रोका जा सके। इसलिए गायों को दुहने की ज़रूरत नहीं है। उन्हें जबरन गर्भवती होने और अपने बछड़ों के बिना रहने से रोकने की जरूरत है।

क्या बछड़ों को उनकी जरूरत का दूध पीने की अनुमति है?

बहुत बार हम लोगों को यह कहते हुए सुनते हैं कि किसान गाय या भैंस का दूध निकालने से पहले बछड़ों को दूध पिलाने देते हैं। यह कितना सच है? अलग-अलग किसानों की अलग-अलग प्रथाएं होती हैं। कुछ लोग बछड़े को अपनी मां के पास रहने देते हैं और कम से कम कुछ दूध पीने देते हैं लेकिन कई किसान बछड़े को केवल तब तक दूध पिलाने की अनुमति देते हैं जब तक कि दूध उतरने ना लगे। इसके बाद वे बछड़े को हटाकर गाय का दूध निकालते हैं। वास्तविकता यह है कि डेयरी व्यवसाय तभी लाभदायक है जब यह बड़ी मात्रा में दूध का उत्पादन करता है, और यही बात किसानों को प्रोत्साहित करती है इसीलिए वे बछड़ों को बहुत कम दूध पीने की अनुमति देते हैं जबकि यह दूध बछड़े के लिए ही बना होता है।

जिस तरह से हम गायों और उनके बच्चों के साथ व्यवहार करते हैं वह अप्राकृतिक और निर्दयी दोनों है। स्वाभाविक रूप से, गायें अपने साथी का चयन करती हैं , बार-बार जन्म नहीं देती हैं, और अपने बच्चों को दूध पिलाने, सम्बन्ध बनाने और उनकी रक्षा करने में समय बिताती हैं। लेकिन दुग्ध उद्योग निर्मम है, और दूध की कमी ना हो उसके लिए गायों को साल दर साल गर्भवती किया जाता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जानवरों के शरीर पर कितना असर पड़ता है। ये कोमल प्राणी अपने शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से इतने टूट चुके होते हैं कि सात या आठ साल की उम्र में ही उन्हें ‘बेकार’ माना लिया  जाता है। गाय का प्राकृतिक जीवनकाल लगभग 20 वर्ष है।

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