मैं वीगन ईद क्यों मनाती हूं

Eid al-Adha and veganism
Eid al-Adha - Photo by Selimaksan on Canva

रमदान – अपने अन्दर एक आध्यात्मिक कायाकल्प और भोग से खुद को संयमित करने का महीना – मैं इस महीने खुद को सर्वशक्तिमान की नेमत के सामने नमन करती हूँ और ईद अल-अधा या “त्याग के पर्व” को ऐसे मनाती हूँ जो फिजूलखर्ची से मुक्त होता है और इसमें मैं मनुष्यों या अन्य किसी भी जानवर को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती।


फरहत उल एन द्वारा लिखित


मैं एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में पला-बढ़ी हूं जिसमें मांस हमेशा मेज पर होता था और बकरियां और अन्य जानवर पास में चरते थे। मैं इन जानवरों को अपने पूरे दिल से प्यार करती थी: वे मेरे खेल के साथी, मेरे विश्वासपात्र और मेरे दृढ़ साथी थे। उन्होंने मुझे मेरी प्रजाति, स्कूल की परीक्षा में मेरे मार्क्स या सांसारिक स्थिति की परवाह किए बिना स्वीकार किया था। जब मैं बच्ची थी तब मैंने इस बात से संबंध नहीं बनाया था कि मेरे पशु मित्र वही प्राणी थे जिनके मांस से मेरे परिवार की खाने की थालियाँ भरी रहती थीं। मेरी ज़िन्दगी उस एक ईद अल-अधा के दिन बदल गई जब मैंने अपने परिवार को अपने भेड़ मित्र होप्पू का वध करते देखा ( उसका नाम होप्पू इसलिए रखा क्योंकि वह उत्साह से इधर-उधर कूदना पसंद करता था)। होप्पू की मौत देखने के सदमे के कारण मैंने मांस खाना बंद कर दिया। इसलिए आज, मैं ईद अल-अधा – और अपना हर दिन – वीगन बनकर जीती हूँ और इस तरह सर्वशक्तिमान और उनकी सभी कृतियों का सम्मान करती हूं।

बाकी उम्माह की तरह, एक बच्चे के रूप में मैंने सुना था कि, अल्लाह (SWT) पैगंबर इब्राहिम (एएस) के सपने में आये थे और उन्हें आज्ञा दी कि वे आज्ञापालन के रूप में अपने सबसे प्यारे अधिकार, अपने बेटे इस्माइल (एएस) का बलिदान करें। इस परीक्षा में, पैगंबर इब्राहिम (एएस) सर्वशक्तिमान के जनादेश को बहादुरी से प्रस्तुत करने के लिए बिल्कुल तैय्यार हो गए, लेकिन अल्लाह (SWT) ने इस्माइल को भेड़ से बदल दिया, इसलिए इस्माइल (AS) को कोई नुकसान नहीं हुआ।

लेकिन जिस किसी इंसान ने भी किसी जानवर से प्यार किया है, वह जानता है कि वे हम जैसे व्यक्ति हैं, जो मरना भी नहीं चाहते। वैज्ञानिक अध्ययनों ने साबित कर दिया है कि सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि सभी जानवर बुद्धिमान प्राणी हैं जो दर्द महसूस करते हैं, अपने परिवारों से प्यार करते हैं और अपनी आज़ादी को संजोते हैं। कुरान कहता है कि जानवर अपने आप में समुदाय हैं।

वध के दौरान जानवरों की पीड़ा को कम करने के लिए इस्लाम में नियम हैं, जैसा कि हदीसों के संयोजन से स्पष्ट होता है। और जब इस्लाम का जन्म सातवीं शताब्दी के अरब में हुआ था, तब पशुपालन उद्योग अस्तित्व में नहीं थे। लेकिन अब, भोजन के लिए अधिकांश जानवरों को पशुपालन उद्योगों में आद्योगिक तरीके से मांस के लिए बढ़ा किया जाता है, अनुमानित 70% जानवर एक पशुपालन उद्योग प्रणाली के भीतर पाले जाते हैं जिस प्रणाली में उन्हें अपने प्राकृतिक व्यवहारों की अभिव्यक्ति से वंचित रखा जाता है और उनका अनुभव दर्द और पीड़ा से भरा होता है। आज, मांस, अंडे और डेयरी उद्योग अक्सर हजारों जानवरों को गंभीर रूप से प्रतिबंधित, गंदे पिंजरों, टोकरे, या मल से भरे शेड में बंद कर देते हैं, जिससे जानवरों को उनकी स्वतंत्रता और सामान्य जीवन जीने के किसी भी तरीके से वंचित कर दिया जाता है। श्रमिक आमतौर पर जानवरों को नशीली दवाओं के इंजेक्शन देते हैं, शिशुओं को उनकी माताओं से अलग करते हैं, उन्हें उचित पशु चिकित्सा देखभाल से वंचित करते हैं, और दर्द निवारक दवाओं के बिना उन्हें विकृत कर देते हैं। और तो और, अनगिनत नर बछड़ों और चूजों को सिर्फ इसलिए मार दिया जाता है क्योंकि वे दूध या अंडे का उत्पादन नहीं कर सकते। यह ज़बरदस्त क्रूरता पैगंबर मुहम्मद (PBUH) की शिक्षाओं के खिलाफ है। एक हदीस ने उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया, “एक जानवर के लिए किया गया एक अच्छा काम उतना ही सराहनीय है जितना एक इंसान के लिए किया गया एक अच्छा काम, जबकि एक जानवर के प्रति किया गया क्रूरता का कार्य उतना ही बुरा है जितना कि एक इंसान के लिए क्रूरता का कार्य।”

“इस्लाम” के मूल शब्द का अर्थ ही “शांति” है, और इस आने वाली ईद के दौरान और पूरे साल जब हम वीगन भोजन का चयन करते हैं और जानवरों को शांति से जीने के लिए छोड़ देते हैं, तब न केवल हम जानवरों के लिए बल्कि हमारे स्वास्थ्य और पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए भी परम नेक काम करते हैं। दरअसल, पैगंबर मुहम्मद (PBUH) ज्यादातर खजूर और जौ खाते थे, और उनके चचेरे भाई अली (SWT) ने कहा था, “अपने पेट को जानवरों का कब्रिस्तान मत बनाओ”। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि मांस और डेयरी खाद्य पदार्थों को अपने आहार से हटाने से किसी व्यक्ति के भोजन से होने वाले कार्बन पदचिह्न को 73% तक कम किया जा सकता है, और एकेडमी ऑफ न्यूट्रिशन एंड डायटेटिक्स का कहना है कि वीगन लोगों को कुछ स्वास्थ्य स्थितियों का जोखिम कम होता है जिसमें इस्केमिक हृदय रोग, टाइप 2 मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर के विभिन्न रूप शामिल हैं। 

मैंने पाया है कि वीगन ईद अल-अधा मनाने से मेरा आध्यात्मिक संबंध गहरा होता है और मुझे दूसरों के साथ खुशी साझा करने का अनुभव होता है जिससे किसी को भी कोई नुकसान नहीं होता है।

अब, मेरा परिवार अपने पैसे का उपयोग अनाथालयों, गरीबों, शैक्षणिक संस्थानों, और बुजुर्गों को दान करने के लिए करता है और इस तरह अल्लाह की दया का जश्न मनाता है, न कि इन पैसों का इस्तेमाल उन बकरियों को मारने के लिए करता है जिनकी जान उन्हें उतनी ही प्यारी है जितनी की हमें अपनी है। ईद के दिन अपनी समृद्धि का बलिदान करना लोगों की मदद करने का एक दीर्घकालिक:तरीका है : गरीबों को मांस का दान करने से उन्हें केवल एक दिन का खाना मिलेगा, लेकिन हमारे द्वारा लोगों को पैसा या मदद देना ताकि वे अपना एक छोटा व्यवसाय शुरू कर सकें या उनकी शिक्षा में सुधार करना यह सुनिश्चित करेगा कि लोगों के पास हर दिन खाने के लिए भोजन है।

इस ईद, मेरा परिवार दस्तरख्वान के पास बैठेगा और सेवइयां, समोसा, शाही टुकड़ा, पुलाव और काजू-क्रीम कोरमा जैसे वीगन खाद्य पदार्थों का भोजन करेगा। मुझे उम्मीद है कि आपकी रसोई भी वीगन भोजन की सुगंध और रंगों से भर जाएगी। कृप्या अल्लाह की सभी कृतियों के प्रति दयालुता को बढ़ावा देने में मेरा साथ दें और वास्तव में शुभ और वीगन उत्सव मनाएं। ईद मुबारक!


फरहत उल ऐन पीपल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया के साथ एक एडवोकेसी ऑफिसर हैं।

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