मांस उद्योग: मानव पर इसका प्रभाव

पशुपालन उद्योग पृथ्वी और लोक स्वास्थ्य पर बहुत बड़ा प्रभाव डालता है, साथ ही इससे पशुओं को बहुत पीड़ा भी पहुँचती है। लेकिन इन उद्योगों में काम करने वाले लोगों पर जो खतरा है उसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। हालाँकि ज़्यादातर ध्यान हम मांस उत्पादन की नैतिकता पर देते हैं, ऐसे में कत्लखानों में काम करने वाले श्रमिकों पर जो जोखिम हैं उस पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है। यहाँ, हम इस तरह के व्यवसाय से जुड़े कई जोखिमों में से कुछ जोखिमों को समझते हैं।

पशुपालन उद्योग एक खतरनाक उद्योग है

संयुक्त राज्य अमेरिका और दुनिया भर में काम करने वालों के लिए पशुपालन उद्योग सबसे खतरनाक उद्योग है। घोल के खड्डों से लेकर पशुओं को कत्लखानेतक ले जाने वाली प्रक्रिया और चोट से लेकर मानसिक पीड़ा तक, पशुपालन उद्योग और पशुओं के क़त्ल का लोगों पर भी बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है।

जूनोटिक रोग

पशुपालन उद्योग के पशुओं के बीच रहकर मांस से सम्बंधित काम करने वाले कर्मचारी और श्रमिकों को जूनोटिक रोगों के संक्रमण का खतरा होता है। ये इस तरह की बीमारियाँ हैं जो पशुओं से लोगों में फैल सकती हैं। इनमें एंथ्रेक्स, गोजातीय तपेदिक(बोवाइन ट्यूबरक्लोसिस), ब्रुसेलोसिस, क्रिप्टोस्पोरिडियोसिस, गियार्डियासिस, हंटावायरस रोग, लेप्टोस्पायरोसिस, ओवाइन क्लैमाइडियोसिस, सिटाकोसिस और रेबीज शामिल हैं – ये सभी अमेरिकी श्रम विभाग के व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशासन (OSHA) की वेबसाइट पर सूचीबद्ध हैं। ये, तथा कई अन्य बीमारियां, संक्रमित पशुओं के साथ काम करने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं।

कर्मचारियों को जूनोटिक बीमारियों के संक्रमण और प्रसार का खतरा है। फोटो: वी एनिमल्स मीडिया

क्षति और जानहानि

कत्लखानों और मांस काटने वाले प्लांट के कर्मचारियों को रोजाना बेहद तेज़ औजारों और खतरनाक मशीनों से काम करना पड़ता है। एक संघीय रिपोर्ट के मुताबिक इन कर्मचारियों के अंग और अंगुलियां कट जाती हैं और उन्हें दर्दनाक चोटों का सामना करना पड़ता है। OSHA द्वारा 2015 से 2017 तक संकलित किए गए डेटा के अनुसार, कत्लखानों में काम करने वाले कर्मचारियों में औसतन हर हफ़्ते दो अंग-विच्छेद के मामले दर्ज़ हुए हैं। यह सब जानते हैं कि मांस उद्योग में चोटों के मामले कम ही दर्ज़ किए जाते हैं, क्योंकि यह कर्मचारी शरणार्थी या अप्रवासी हो सकते हैं जिनके पास काम का अनुमतिपत्र नहीं होता है, हकीकत में यह दर बहुत ज़्यादा हो सकती है।

सभी निर्माण उद्योगों में मांस उद्योग, मुर्गी पालन उद्योग और प्रक्रिया उद्योग में चोट और बीमारी की दर सबसे ऊंची है।

कत्लखानों में काम करना सबसे खतरनाक कामों में से एक है। फोटो: वी एनिमल्स मीडिया

मत्स्य उद्योग में क्षति और जानहानि

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार व्यावसायिक मत्स्य-पालन उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों को विभिन्न व्यवसाय सम्बंधित स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इनमें त्वचा कैंसर और लंबे समय तक पानी और धूप में काम करने से होने वाली एलर्जी शामिल हैं। यूवी किरणों के अत्यधिक संपर्क में आने से सनबर्न और धुंधली दृष्टि जैसी आंखों की समस्याएं भी हो सकती हैं, और शोरगुल वाले इंजन रूम में काम करने वाले कर्मचारियों में सुनने की समस्याएं भी हो सकती हैं। इसके अतिरिक्त, नुकीली वस्तुओं और मछली पकड़ने वाले औज़ारों से चोट लगना आम बात है।

इसके अलावा, समुद्र में रहने से जीवन को भी खतरा है। हैरानी की बात यह है कि मत्स्य उद्योग में हर साल 1,00,000 लोगों की मौत होने का अनुमान है। इनमें से कई मौतें टाली जा सकती हैं, लेकिन इस उद्योग का संचालन इतना खराब है और श्रमिकों के अधिकारों को इस तरह से अनदेखा कर दिया जाता है, कि यह दुनिया का सबसे घातक उद्योग बन गया है। ज़्यादातर मौतें दर्ज भी नहीं की जाती हैं।

मछली पकड़ने वाले जहाज़ पर काम करना स्वाभाविक रूप से खतरनाक है। फोटो: वी एनिमल्स मीडिया

श्वसन-संबंधी बीमारियाँ

फेफड़े के विशेषज्ञों द्वारा प्रकाशित शोध के अनुसार आधुनिक पशुपालन उद्योग में काम करने वाले लोगों को “ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र संबंधी विकारों” का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यहाँ पर छोटी जगहों में बहुत बड़ी संख्या में पशुओं को पालना आम बात है। इनमें राइनाइटिस, म्यूकस मेम्ब्रेन इन्फ्लेमेशन सिंड्रोम, साइनसाइटिस, अस्थमा, अस्थमा के लक्षण, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस और ऑर्गेनिक डस्ट टॉक्सिक सिंड्रोम (ओडीटीएस) शामिल हैं।

पशुपालन उद्योग के कर्मचारियों में फेफड़े और श्वसन संबंधी बीमारियाँ आम हैं। फोटो: वी एनिमल्स मीडिया

पशुओं से संबंधित क्षतियां

बैल, गाय और भैंस जैसे बड़े जानवरों के साथ काम करने में चोट लगने का बड़ा खतरा रहता है। पशुओं को हांकते वक्त, ले जाते वक्त या संभालते हुए कर्मचारी कुचले जा सकते हैं, सींग से क्षतिग्रस्त हो सकते हैं या किसी और तरीके से उन्हें नुकसान पहुंच सकता है। इस तरह के नुकसान से बचने के लिए, पशुपालन उद्योग के कर्मचारियों के पास अक्सर जानवरों को डराने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए बिजली के डंडे या पक्कड़ होते हैं। फिर भी, पशु कई बार खतरनाक तरीकों से पेश आ सकते हैं, जैसे कि, काटना, लात मारना, सींग मारना, कुचलना, घेर लेना, चोंच मारना, खरोंचना, घसीटना, टक्कर मारना वगैरह। और यह कर्मचारियों के लिए संभावित रूप से खतरनाक है।

मानसिक स्वास्थ्य संबंधित चुनौतियाँ

कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि पशुपालन उद्योग के कर्मचारियों में निराशा और आत्महत्या का जोखिम अधिक होता है। कत्लखानों में काम करने वाले लोग विभिन्न लेकिन समान रूप से परेशान करने वाली मनोवैज्ञानिक चुनौतियों का सामना करते हैं। इस तरह के काम का स्वरूप ही हिंसक है, और इसलिए स्वाभाविक रूप से यह मानसिक तनाव या नुकसान का कारण बन सकता है। इस काम को PTSD और PITS (अपराध-प्रेरित आघातजन्य तनाव) से जोड़ा गया है। कठिन परिस्थितियां, काम की नीरसता, खून और पशुओं की पीड़ा के बावजूद लगातार क़त्ल का काम जारी रखने वाले कर्मचारियों को नौकरी में बने रहने के लिए खुदको काम से अलग रखना पड़ता है जिससे कर्मचारी पर भारी मानसिक दबाव पड़ता है।

‘स्लॉटरहाउस: द शॉकिंग स्टोरी ऑफ ग्रीड, नेगलेक्ट, एंड इनह्यूमेन ट्रीटमेंट इनसाइड द यूएस मीट इंडस्ट्री’ नामक पुस्तक में कत्लखाने के एक पूर्व कर्मचारी ने एक दिल दहलाने वाला अवलोकन साझा किया है: “सबसे बुरी, शारीरिक जोखिम से भी बुरी चीज़ है भावनात्मक बोझ। अगर आप कभी भी स्टिक पिट [जहाँ सूअरों को मारा जाता है] में काम करते हैं – तो आप चीजों को मार सकते हैं, लेकिन उनकी परवाह नहीं कर ते।। खून के गड्ढे में आपके साथ घूम रहे सूअर की आँखों में देख कर आपको विचार आ सकता है, ‘हे भगवान, वास्तव में यह कोई भद्दा दिखने वाला जानवर नहीं है।’ आप इसे सहलाना चाहेंगे। मारने वाले फर्श पर पड़े सूअर, मुझे कुत्तों के पिल्लों की तरह सूंघने आते थे। दो मिनट के बाद, मुझे उन्हें मारना पड़ा। … मैं परवाह नहीं कर सकता।’ आप उनके शब्दों में अलगाव देख सकते हैं: ‘चीजों’ को मारना और ‘इसे’ सहलाना।

कत्लखानों में काम करने से कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। फोटो: वी एनिमल्स मीडिया

हिंसा, अपराध और मादक द्रव्यों का सेवन

इस तरह के काम की परिस्थितियों का सामना करने के लिए, क़त्लखानों के कर्मचारियों के द्वारा शराब और नशीली दवाओं का सेवन करना आम बात है। क़त्लखाने का काम और घरेलू हिंसा के बीच गहरा संबंध होना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। ऊपर की पुस्तक में जिसका उल्लेख किया गया है उसी कर्मचारी ने कहा, “मॉरेल [एक बड़ा कत्लखाना] में बहुत से लोग बस शराब पीते हैं और नशीली दवाएँ लेकर अपनी समस्याओं को दूर भगाते हैं। उनमें से कुछ अपने जीवनसाथी के साथ इसलिए दुर्व्यवहार करते हैं क्योंकि, वे अपनी भावनाओं से छुटकारा नहीं पा सकते हैं।?

एफबीआई अपराध डेटा और अमेरिकी जनगणना का उपयोग करके 2009 में एक अध्ययन किया गया। जिसमें, अमेरिका में 1994 से लेकर 2002 तक कत्लखानों और अपराध दर के बीच के संबंध की जांच की गई। इसमें यह बात सामने आई कि कत्लखानों के रोजगार में शामिल लोगों की अपराध दर अन्य उद्योगों की तुलना में कुल अपराध दर से अधिक थी, खासकर हिंसक और यौन अपराध, जिनमें बलात्कार भी शामिल है।

ज़ाहिर है मांस उद्योग समाज के लिए भी एक खतरा है।

लक्ष्य पूरे करना, प्रभावों को अनदेखा करना

प्रति घंटे मारे गए जानवरों की संख्या और तैयार किए गए मांस के वज़न पर क़त्लखानों का मुनाफ़ा निर्भर करता है। यू.एस. एनिमल किल क्लॉक के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रति घंटे मारे जाने वाले ज़मीनी जानवरों की संख्या 9,74,100 है और अगर जलीय जानवरों को शामिल किया जाए तो यह संख्या प्रति घंटे 63,28,000 होगी। इन बेतहाशा ऊँचे और दुःखद आंकड़ों के लक्ष्य की पूर्ति का बोझ उद्योगों में काम करने वाले व्यक्तियों पर पड़ता है।

पशुपालन उद्योग के पर्यावरण संबंधी खतरे

पर्यावरण पर मांस उत्पादन के प्रभाव ज़्यादा से ज़्यादा प्रत्यक्ष होते जा रहे हैं। पशुपालन उद्योग में अरबों पशुओं से भारी मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिससे जल स्रोतों के दूषित होने और जलीय पारिस्थितिकी तंत्र की हानि जैसी समस्याएं पैदा होती हैं। यह न सिर्फ़ वन्यजीवों के लिए बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी हानिकारक है। अमेरिका में, अक्सर विशाल पशुपालन उद्योग गैर अमरीकी समुदायों के बीच बने होते हैं, जिससे सस्ते, गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले श्रमिक मिल सके। अक्सर उन्हें प्रदूषित वायु और जल स्रोतों के बीच रहना पड़ता है। जो लोग पशुपालन उद्योग के पास रहते हैं, उनमें फेफड़ों के विकारों का जोखिम अधिक होता है।

शोषणकारी उद्योग

सिर्फ़ मांस (मछली सहित), डेयरी और अंडे का उत्पादन ही प्राकृतिक रूप से ख़तरनाक है ऐसा नहीं है बल्कि, यह पूरा उद्योग ही शोषण से भरा हुआ है।

ऑक्सफ़ैम (OXFAM) अमेरिका की रिपोर्ट लाइव्स ऑन द लाइन में अमेरिका के सर्वोच्च चार पोल्ट्री व्यवसायों में पोल्ट्री श्रमिकों के सामने आने वाले जोखिमों पर प्रकाश डाला गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मांस उत्पादन में काम करने वाले श्रमिकों को बहुत कम मज़दूरी मिलती है, कार्यस्थल पर चोटों और बीमारियों की दर ऊँची होती है, और अक्सर उन्हें भयानक माहौल का सामना करना पड़ता है।

जैसा कि हमने देखा, व्यावसायिक मत्स्य पालन उद्योग सबसे ख़तरनाक उद्योगों में से एक है, जहाँ प्रति 1,00,000 श्रमिकों में से औसतन 115 श्रमिकों की मृत्यु होती है, जबकि अमेरिका के सभी श्रमिकों में प्रति 1,00,000 श्रमिकों में से चार मृत्यु होती है। लेकिन ये आंकड़े पूरी हकीकत बयाँ नहीं करते हैं। हिंसा और हत्या की ख़बरों के साथ साथ गुलामी इस उद्योग में बहुत आम बात है।

यूरोप में प्रवासी श्रमिकों ने बताया कि दलाल उनका वेतन ले लेते हैं और उन्हें कठोर परिस्थितियों में रखते हैं। कार्यस्थल पर उन्हें बहुत कम अधिकार और सुरक्षाएँ प्राप्त होती हैं।

पूरी दुनिया में, सबसे खतरनाक प्रक्रियाएं अक्सर कम आय वाले समूह के लोगों द्वारा चलाई जाती हैं, जिनमें बिना दस्तावेज वाले अप्रवासी भी शामिल हैं। अक्सर इन लोगों के पास बहुत कम विकल्प होते हैं और दूसरों के लिए मुनाफ़ा कमाने के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के अलावा उनके पास कोई और चारा नहीं होता।

निष्कर्ष 

इन कई गंभीर व्यावसायिक खतरों और पर्यावरणीय चुनौतियों का सामना करने के लिए मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता है। आखिरकार, जो लोगों के लिए हानिकारक है, वह पृथ्वी और जानवरों के लिए भी हानिकारक है। स्थायी समाधान खोजने के लिए इन चुनौतियों के परस्पर संबंध को पहचानना आवश्यक है। हमारे आहार से मांस, अंडे और डेयरी को हटाने का प्रयास इस मानवीय संकट को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। अवगत विकल्पों के माध्यम से, विगनीज़म को एक बुनियादी और सशक्त सामाजिक न्याय आंदोलन बनाने में हम सक्रिय रूप से योगदान दे सकते हैं जो लोगों के लिए उतना ही लाभदायक है जितना कि जानवरों और पृथ्वी के लिए।

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