मैं एक मेमने के बूचड़खाने में गई थी और अब मैं खुद को इस भयानक बुरे सपने से मुक्त नहीं कर पा रही हूँ।

Steph Rivetti rescuing a lamb from the slaughterhouse before Easter

मासूम प्राणियों की ज़िन्दगियों को सिर्फ़ अंकों से गिना जाता है, उनके बहुमूल्य जीवन को सिर्फ एक अंक तक सीमित कर दिया जाता है।इटली में हर साल 20 लाख मेमनों का वध किया जाता है। उनमें से दस लाख – या अधिक – विदेशों से, मुख्य रूप से पूर्वी यूरोप से लाये गए हैं।

लेकिन अंकों को जानने से क्या होता है। वे सांख्यिकीय जानकारी देने में मदद करते हैं लेकिन इसके पीछे छिपी असली कहानी नहीं बताते हैं। संख्याएँ तटस्थ, वस्तुनिष्ठ हैं, और वे हमारे और उन मेमनों के बीच एक निश्चित भावनात्मक बाधा डालती हैं। व्यापार / मार्केटिंग योजनाओं के अंतर्गत हमें यह बताया जाता है कि कोई मांस किस देश से आया है और उसकी गुणवत्ता कितनी है ताकि उस मांस की खपत ज़्यादा हो पाए एवं इससे मुनाफा कमाया जा सके, मानो इन सबके अलावा बताने के लिए जैसे कोई सच्चाई है ही नहीं।

इसलिए, कुछ हफ़्ते पहले एक सोमवार, मैं यह सोचकर जाग गई कि मैं ईस्टर के लिए किस तरह का कॉन्टेंट बना सकती हूँ और लोगों से साझा कर सकती हूँ, क्योंकि वर्ष के इस समय में मेमनों को पशुपालन उद्योग से (जहाँ उनका जन्म होता है) वहां से इस देश में बड़ी संख्या में लाया जाता है।

मैंने इटैलियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्टैटिस्टिक्स की वेबसाइट पर डेटा की जाँच की, मैंने एस्सेरे एनिमली और एनिमल इक्वेलिटी इटालिया द्वारा अतीत में किए गए लाइव ट्रांसपोर्ट पर की गई जाँच को पढ़ा, मुझे कुछ रेडियो या टीवी पर हुए भाषण के अंश (साउंडबाइट) मिले … लेकिन मुझे इनमें से कोई भी पर्याप्त नहीं लगा।

हाँ, यह उन लोगों के लिए पर्याप्त हो सकता था, जो कॉन्टेंट पर टिप्पणी करना चाहते और उसे साझा करना चाहते, लेकिन मुझे जो भी भाषण या डेटा के अंश मिले थे वे स्वयं मेमनों के लिए पर्याप्त नहीं थे – उन मासूम और प्यारे से बच्चों को समाज ने ‘पारंपरिक’ व्यंजनों में बदल दिया है, और इसे समाज हजारों साल पहले लिखे गए शब्दों का हवाला देकर उचित ठहराता है।

और उनके लिए, केवल उनके लिए, मैंने उन गुप्त, छिपे हुए स्थानों में से एक के सामने जाने का फैसला किया जहां ये ‘मासूम और पवित्र’ बच्चे केवल टुकड़े-टुकड़े होने के लिए आते हैं और और उनका प्रति किलो मांस कुछ यूरो के हिसाब से बेचा जाता है। इसके बारे में कुछ भी काव्यात्मक या बाइबिल सम्बन्धी नहीं है। इसमें बहादुरी जैसा भी कुछ नहीं है। मैंने खुद को तैयार किया, या कम से कम मैंने सोचा कि मैंने खुद को तैयार किया है: मैंने लेबलिंग दिशानिर्देशों को पढ़ा, मैंने उन दस्तावेजों को पढ़ा जिनमें मेमनों की उम्र के बारे में बताया हुआ था जिनका मैं सामना करने वाली थी, मैंने जीवित पशु परिवहन पर नियमों को पढ़ा और जानवरों को अचेत करने और उनका वध करने वाले प्रोटोकॉल को पढ़ा। मैंने यूरोपीय संघ के नियमों द्वारा परिभाषित ‘लाइव वेट’ (वजन जब वे जीवित हैं) और ‘शव प्रकार’ जैसे शब्द पढ़े। मैंने ‘एबैचियो’ की व्युत्पत्ति के बारे में भी पढ़ा, जो एक लाजियो बोली शब्द है, जो उस मेमने के लिए प्रयोग होता है जिनकी एक महीने की उम्र में या उससे पहले ही मार दिया जाता है। ये बच्चे केवल दूध उत्पादन उद्योग का एक ‘उप-उत्पाद’ होते हैं – पेकोरिनो या काचियो चीज़ के लिए।

लेकिन मैंने जो कुछ भी पढ़ा वह उस क्षण गायब हो गया जब मैं बूचड़खाने के सामने यार्ड में खड़ी थी.. और मैंने वहां पहली चीखें सुनीं।

हम अक्सर लियो टॉल्स्टॉय के वाक्यांश को पढ़ते हैं ‘यदि बूचड़खानों में कांच की दीवारें होतीं तो हम सभी शाकाहारी होते’ लेकिन यह पूरी कहानी नहीं है। या यों कहें, वध और अंग-विच्छेद की प्रक्रिया को स्वयं देखना आवश्यक नहीं है। उन चीखों को सुनना ही काफ़ी है। वहां आप अभी भी दूध पी रहे शिशुओं की वह आग्रहपूर्ण और हताश पुकार सुनेंगे – लगभग सभी शिशु नर होते हैं जिन्हें उनकी माताओं से छीन लिया गया था और उन्हें एक ट्रक पर ठूंस दिया गया था और फ़िर मलमूत्र, दूध और भय की बदबू से भरे बाड़े में फेंक दिए गया था, जहाँ उन्हें उनके पैरों से जकड़ कर उल्टा लटका दिया जाता है, फ़िर उनको अचेत करके उनका वध कर दिया जाता है। वे चीखें आपके दिमाग से कभी नहीं निकलेंगी, चाहे आप सो रहे हों या जग रहे हों।

तो, मैं उस अहाते में खड़ी थी और उन दु:खद चीखों को सुन रही थी… तभी एक ट्रक आया। यह वह चार मंजिला वाला बड़ा ट्रक नहीं था जो एक समय में 700 मेमनों को लोड कर सकता है। यह छोटे प्रकार का एक ट्रक था, जिसमें सिर्फ दो मंजिला थीं, उसकी प्लेट से पता चलता था कि यह ट्रक स्थानीय फार्म से था… और जब मैंने मेमनों को देखा तो मेरा पहला विचार था “लेकिन ये तो बहुत छोटे हैं!” शायद ‘छोटा’ शब्द भी पूरी सच्चाई बयाँ नहीं कर पा रहा है। उनके छोटे से, प्यारे से शरीर पर उनकी बड़ी बड़ी आँखें थीं, जो एकदम भयभीत और हतप्रभ थीं। और डर से उनका रोना निकल रहा था।

वहाँ खड़े होकर, उन बच्चों की डर से भरी आँखों को देख कर और अपने कानों में उनकी चीखों को सुनकर, मुझे दो भावनाएँ बहुत गहराई से महसूस हुईं।

पहली भावना क्रोध की थी, क्योंकि दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह नैतिक रूप से स्वीकार्य बनाता है कि अपनी माँ का दूध पी रहे शिशुओं को उनकी माताओं से छीन कर अलग कर दिया जाए ( जिन माताओं का दूध के लिए तब तक शोषण किया जाता है जब तक वे बर्बाद नहीं हो जातीं, यह सब सिर्फ इसलिए ताकि मनुष्य उनके दूध की चीज़ खा सके), बच्चों को बिजली के झटके या कैप्टिव बोल्ट गन से अचेत किया जाता है ( जिसे कानूनी तौर पर ‘दयालु कत्लेआम’ नाम दिया गया है ), उन्हें उनके पिछले पैरों से लटकाया जाता है, साथ ही साथ उनकी कैरोटिड और गले की धमनियों को तेजी से बहिर्वाह के लिए काट दिया जाता है, फ़िर उनकी खाल उतारी जाती है और उन्हें टुकड़े-टुकड़े कर दिया जाता है ( और हां, हड्डी काटने वाली आरी की आवाज़ को भी स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है), और फ़िर उन्हें बैग में पैक करके सुपरमार्केट भेज दिया जाता है।

दूसरी भावना मुझे निराशा की महसूस हुई  – यह भावना थी कि मैं तेज़ी से बह रही हवा से लड़ रही हूँ, यह भावना थी कि हम चाहे कितनी भी कोशिश कर लें, चाहे हम कितनी भी इच्छा कर लें, ज्यादातर लोग दूध पीते शिशु की पकी हुई पसलियों को खाना चुनेंगे न कि उनकी रक्षा और संरक्षण करना चुनेंगे। यहोवा के क्रोध से ज्येष्ठ पुत्रों की रक्षा करने के लिए मिस्रियों को एक दिव्य अनुरोध मिला था जिसका लोग एकदम गलत मतलब समझते हैं और इन मासूम बच्चों का ‘परंपरा’ के नाम पर वध करना जारी रखते हैं। आइए इस सच का सामना करते हैं, परमेश्वर का मेमना जो दुनिया के पापों को दूर करता है, इन बच्चों की तरह नहीं दिखता है, और निश्चित रूप से इन प्राणियों को मारने और पकाने से हमें स्वर्ग में जगह मिलने की कोई गारंटी नहीं मिलती है।

लेकिन हम एक प्रजातिवादी समाज में प्रजातिवाद के बारे में कैसे बात कर सकते हैं, जो समाज ऐसे लोगों से बना है जो हर चीज की कीमत लगाते हैं और जो लोगों को मूल्य इस आधार पर प्रदान करते हैं कि वे कितने उपयोगी हैं, उनकी त्वचा का रंग क्या है, यौन अभिविन्यास क्या है, उनके जन्म का लिंग क्या है या वे किस देश हैं? हम उन लोगों से उनकी ‘करुणा की परिभाषा का विस्तार’ करने के लिए कैसे कह सकते हैं जो मासूम बच्चों को खाना सामान्य और स्वीकार्य मानते हैं? हम कैसे उस नई परंपरा को प्रस्तावित कर सकते हैं और गले लगा सकते हैं जिसमें जीवन के सभी प्राणियों को सम्मान दिया जाता है, पर्यावरण की सुरक्षा की जाती है, मासूम और कमज़ोर प्राणियों की सुरक्षा की जाती है, जब हर दिन इस समाज में मासूमियत और कमजोरियों का मजाक उड़ाया जाता है, धमकाया जाता है, तिरस्कृत किया जाता है?

उस मेमने के कत्लखाने के सामने बिताए उन कुछ घंटों ने मेरे इस विचार को कुचल दिया कि इतने वर्षों की सक्रियता (एक्टिविज्म) से मैंने कुछ भी वास्तविक रूप से हासिल किया है। इसने मुझे इस बात को मानने के लिए प्रेरित किया कि कई मनुष्यों के भीतर एक मूलभूत बुराई निश्चित रूप से होती है (क्षमा करें, एरिच फ्रॉम)। कत्लखाने के कुछ कर्मचारियों ने जिस तरह हिंसात्मक तरीके से मेरे साथ व्यवहार किया, उसने मेरे इस विचार को बल ही दिया।

हम एक मेमने को छुड़ाने में कामयाब रहे। उन हताश नवजात शिशुओं में से एक मेमना अब सैंटुआरियो कैपरा लिबेरा तुत्ती नाम के सुरक्षित स्थान पर सम्मानपूर्वक जीवन बिता रहा है। उस बच्चे का नाम अब एडी पज़ोलो है, और शायद उस बच्चे की कहानी, उसका अस्तित्व, उसका जीवित होना, समय के साथ उन सभी मेमनों की चीखों को बंद कर देगा जो मेरे दिमाग में बजती रहती हैं। और हो सकता है कि एक दिन उसकी आंखें कई अन्य लोगों की आंखों से मिलें, और वह चिंगारी बन जाए जो जागरूकता और परिवर्तन को प्रज्वलित करेगी।

क्योंकि शक्ति हम में से प्रत्येक के हाथ में है: अपनी मांस की मांग को शून्य करने से हम मांस की आपूर्ति को भी शून्य कर देंगे। और जीवन के कुछ हफ्तों के भीतर मारे जाने के एकमात्र उद्देश्य के लिए लाखों एडी पज़ोलो को इस दुनिया में ज़बरन लाया भी नहीं जाएगा। और शायद तब दुनिया को शांति मिलेगी।


स्टेफ रिवेटी लंबे समय से एक पशु अधिकार कार्यकर्ता, पर्यावरणविद्, संरक्षणवादी और वीगन अधिवक्ता हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पशु अधिकार और संरक्षण संगठनों के साथ मिलकर काम किया है। उन्होंने 2018 से, जागरूकता बढ़ाने और सभी जीवित प्राणियों के लिए एक अधिक दयालु, करुणामय, न्यायपूर्ण और स्वस्थ पृथ्वी का निर्माण करने के लिए इटली में जेनV के अभियान प्रबंधक के रूप में काम किया है।

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