भेड़ और बकरी का दूध कितना नैतिक है?

बहुत से लोग डेयरी उत्पादों को विशेष रूप से गायों से जोड़ते हैं। लेकिन जैसे-जैसे डेयरी उद्योग में गायों और उनके बछड़ों को होने वाली पीड़ा अधिक व्यापक रूप से ज्ञात होती जा रही है, भेड़ के दूध या बकरी के चीज़ जैसे अन्य जानवरों के उत्पादों को अपनाने का चलन बढ़ गया है। लेकिन हम उन उद्योगों के बारे में क्या जानते हैं? और क्या वे जानवर अब भी पीड़ित हैं?

डेयरी उत्पाद कहाँ से आते हैं?

डेयरी उत्पाद विशेष रूप से गाय के दूध से नहीं बनाए जाते हैं। बकरी, भेड़, भैंस और यहां तक ​​कि ऊंट का पालन भी उनके दूध के लिए किया जाता है। चालाक तरीके से प्रचार करने की वजह से उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाया जाता है कि बकरी के चीज़ या भेड़ के दूध जैसे उत्पाद पारंपरिक तरीके से बनाये जाते हैं और यह छोटे पैमाने पर बनाए जाते हैं, और उपभोक्ताओं को यह विश्वास दिलाया जाता है कि इन जानवरों के साथ गायों की तुलना में बेहतर व्यवहार किया जाता है। परन्तु यह सच नहीं है।

डेयरी के लिए पाले गए सभी जानवरों को बार-बार गर्भाधान का शिकार होना पड़ता है और अपने बच्चों को खोने की पीड़ा से गुज़रना पड़ता है। आख़िरकार, डेयरी उद्योग तभी अपना मुनाफ़ा कमाता है जब वह बछड़ों को वह दूध पीने से रोकता है जो उनकी माँ उनके लिए उत्पादित करती है। भेड़, बकरी और भैंसों को अत्यधिक सघन (भीड़भाड़ और गन्दगी भरे) फार्मों के अंदर पाला जाता है, और जहाँ वे अनेक प्रकार की बीमारियों, संक्रमण के शिकार होते हैं और शोषण और आजीवन कारावास की ज़िन्दगी जीने को मजबूर होते हैं।

गाय को छोड़कर अन्य जानवरों के स्राव से बनने वाले डेयरी उत्पादों में शामिल हैं:

  • बकरी का दूध
  • बकरी के दूध का चीज़
  • हल्लौमी चीज़ (बकरी, भेड़, गाय का दूध, या मिश्रण)
  • फ़ेटा चीज़ (भेड़ से)
  • पेकोरिनो चीज़ (भेड़ से)
  • मांचेगो चीज़ (भेड़ से)
  • भैंसों का मोत्ज़ारेला
  • ऊँटनी का दूध
डेयरी फार्म पर एक बकरी. श्रेय: वी एनिमल्स मीडिया।

बकरी का पनीर और दूध

शायद सबसे लोकप्रिय डेयरी उत्पाद जो गाय से नहीं आते हैं वे बकरी के दूध से बने चीज़ हैं। गायों की तरह, बकरियों को भी दूध पैदा करने के लिए सघन रूप से पाला जाता है, और गायों की तरह, बकरियों को भी इस तरह पाला जाने पर भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और शारीरिक रूप से पीड़ा होती है। बकरियों का दूध जारी रखने के लिए उनका बार-बार गर्भधारण कराया जाता है। उनके बच्चों को एक व्यर्थ उत्पाद समझा जाता है। कुछ बच्चे जब कुछ हफ़्तों के ही होते हैं तब उन्हें मांस के लिए मार दिया जाता है जबकि वे संभवतः 10 साल तक जी सकते हैं। कुछ मादा बच्चों को उनकी थकी और टूटी हुई माताओं की जगह लेने के लिए रखा जाता है, लेकिन जिन युवा बकरियों से कमाई नहीं की जा सकती, उन्हें जन्म के समय ही मार दिया जाता है।

फॉनालिटिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत बकरियों का वध करने वाले शीर्ष तीन देशों में से एक है और 2016 में 50,519,315 बकरियों की हत्या हुई थी। यह संख्या अब और अधिक है।

यूके में, हर साल लगभग 45,000 बकरियों को डेयरी के लिए पाला जाता है। 2022 में, एनिमल जस्टिस प्रोजेक्ट ने डेयरी बकरियों को होने वाली पीड़ा और मौत को उजागर किया। सुर्खियाँ बटोरने के बावजूद नतीजा कुछ नहीं निकला।

संयुक्त राज्य अमेरिका में, हर साल डेयरी के लिए कम से कम 350,000 बकरियों का पालन-पोषण किया जाता है। बकरियों के मांस की बहुत कम मांग और किसानों को उन्हें पालने के लिए बहुत कम प्रोत्साहन के कारण, यह संभावना है कि इस उद्योग में पैदा होने वाली अधिकांश बकरियों को जन्म के कुछ घंटों के भीतर मार दिया जाता है।

जब हम बकरी के दूध से बने उत्पाद खरीदते हैं तो हम सीधे तौर पर इस अमानवीय उद्योग का समर्थन कर रहे होते हैं।

बकरी के दूध के फार्म पर छोटे-छोटे बच्चों को उनकी मां से छीन लिया गया। श्रेय: वी एनिमल्स मीडिया।

भेड़ की पनीर/चीज़

जब हम डेयरी उत्पादों के बारे में सोचते हैं तो भेड़ों की पीड़ा पर शायद ही कभी विचार किया जाता है, फिर भी भेड़ के दूध का उपयोग कुछ सबसे लोकप्रिय पनीर/चीज़ उत्पादों, जैसे कि हॉलौमी, फेटा, रिकोटा और पेकोरिनो का उत्पादन करने के लिए किया जाता है।

फ्रांस और इटली में, मांस के लिए वध किए जाने वाले अधिकांश मेमनों का जन्म उन भेड़ों से होता है जिन्हें उनके दूध के लिए पाला जाता है, जिनके दूध का उपयोग रोक्फोर्ट और अन्य लोकप्रिय चीज़ बनाने के लिए किया जाता है। डेयरी उद्योग में पैदा होने वाले लगभग एक-चौथाई मेमनों को डेयरी उत्पादन के लिए भी रखा जाता है। इसका मतलब है कि उन्हें बार-बार कृत्रिम गर्भाधान और गर्भावस्था के जीवन के लिए मजबूर किया जाता है, उनकी माताओं की तरह ही जन्म के समय उनके अपने बच्चों को उनसे छीन लिया जाता है। शेष 500,000 से 800,000 मेमनों को या तो तुरंत मार दिया जाता है या वध करने से पहले उन्हें चर्बी बढ़ाने वाली जगहों में ले जाया जाता है, जहां वे दयनीय जीवन जीते हैं।

मांस और डेयरी उत्पादों को अलग नहीं किया जा सकता। गायों में, डेयरी व्यापर और वील (बछड़े का मांस) व्यापार एक ही उद्योग के दो पहलू हैं। भेड़ के दूध से बने डेयरी उत्पाद खरीदकर, हम पशुपालन उद्योग और मेमनों के वध से जुड़ी क्रूरता और मौत को बढ़ावा देते हैं।

एक डेयरी फार्म पर भेड़ें. श्रेय: वी एनिमल्स मीडिया।

भैंस से बनी मोत्ज़ारेला

भैंस से बनी मोत्ज़ारेला एक अन्य लोकप्रिय चीज़ उत्पाद है, जो अक्सर उच्च पारंपरिक तरीके से बनाये जाने के लिए मशहूर है, और इसलिए इसे उच्च पशु कल्याण का उत्पाद माना जाता है। सबूत बताते हैं कि बात यह सच्चाई से कोसों दूर है।

इटली के फार्मों की कई जांचों से पता चला है कि भैंसें भीड़भाड़ वाले फार्मों में घुटनों तक अपने मल में डूबी रहती हैं और अपने बछड़ों या साथी भैंसों के शवों के पास खड़ी रहती हैं। इन फार्मों से निकलने वाला मोत्ज़ारेला दुनिया भर में निर्यात किया जाता है।

हाल के वर्षों में मोत्ज़ारेला की मांग बढ़ी है और इससे इस उद्योग में और तेजी आई है। इटली में भैंसों के लिए स्थितियाँ केवल बदतर होंगी जब तक कि हम उत्पाद खरीदना बंद नहीं करते और पौधे-आधारित विकल्प चुनना शुरू नहीं करते।

ऊँट का दूध

गाय, भेड़ और बकरी के दूध की तुलना में ऊंटनी का दूध कम मात्रा में उत्पादित होता है, लेकिन फिर भी इसकी मात्रा प्रति वर्ष लगभग तीन मिलियन टन होती है। ऊँट इस मायने में अद्वितीय हैं कि वे केवल तभी दूध देते हैं जब उनका बच्चा शारीरिक रूप से मौजूद होता है, जिसका अर्थ है कि ऊँटों के बच्चों को जन्म के समय उनकी माँ से अलग नहीं किया जा सकता है – पर ऐसी क्रूरता लाखों गायों, भेड़ों और बकरियों पर होती है। लेकिन जब उनकी मां का दूध सूख जाता है, तो बछड़े को ले जाया जाता है और या तो उसे दूध उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, बेच दिया जाता है, या मार दिया जाता है।

ऊँट विस्तृत श्रेणीबद्ध संरचनाओं वाले जटिल प्राणी हैं। मांस और दूध के लिए उनका व्यापार करना स्वाभाविक रूप से क्रूर है। अफसोस की बात है कि हाल के दिनों में उनका दूध फैशनेबल हो गया है, और दुनिया भर में मुख्यधारा की दुकानें पहले से ही इससे बने उत्पादों का भण्डार रख रही हैं। इससे इस दूध की मांग में और बढ़ोतरी हो रही है और विविधता लाने के इच्छुक किसानों के लिए अब ऊंट पालन को एक विकल्प के रूप में देखा जा रहा है। यह क्षेत्र बढ़ने के लिए पूरी तरह तैयार है, और इतिहास बताता है कि पशु उत्पादों की मांग बढ़ने से उनके कल्याण में कमी आती है।

बचाया गया ऊँट लोला। श्रेय: वी एनिमल्स मीडिया।

मनुष्य किसी भी जानवर का दूध क्यों पीते हैं?

मनुष्यों ने लगभग 10,000 साल पहले सर्दियों और खराब फसल वाले वर्षों में जीवित रहने के साधन के रूप में अन्य प्रजातियों का दूध पीना शुरू किया था। एक प्रजाति के रूप में हमारे 300,000 साल के इतिहास को ध्यान में रखते हुए, जानवरों का दूध पीना अपेक्षाकृत नई प्रथा है। जब हम मानते हैं कि एक मनुष्य शिशु केवल प्रारंभिक विकास के लिए अपनी माँ का दूध पीता है और स्वाभाविक रूप से इस दूध को छोड़ देता है, तो यह बेहद अजीब है कि हम दूसरे जानवर की माँ का दूध पीना जारी रखते हैं।

जैविक रूप से भी जटिलताएँ हैं। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की अधिकांश आबादी लगातार डेयरी खपत के संपर्क में नहीं आई है और इसीलिए दूध में मौजूद चीनी- लैक्टोज को पचा नहीं पाती है। यही कारण है कि, कई लोगों के लिए, डेयरी उत्पाद पेट दर्द, ऐंठन और पेट फूलने का पर्याय बन गए हैं।

दुनिया भर में, हजारों सालों से, पारंपरिक दूध चावल, सोया और नट्स (अखरोट) जैसे पौधों से बनाया जाता रहा है। आज, हमें जीवित रहने के लिए जानवरों के दूध का सेवन करने की आवश्यकता नहीं है और यह देखते हुए कि डेयरी और कुछ तरह के कैंसर के बीच संबंध है, यह अच्छा होगा कि हम जानवरों के दूध से पूरी तरह बचें। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमें अपनी कॉफी में दूध डालना या पनीर का आनंद लेना बंद कर देना चाहिए। हम बस इसकी जगह पौधे-आधारित विकल्प चुन सकते हैं।

एक बेहतर विकल्प: पौधे आधारित दूध और चीज़

सभी पशु-आधारित दूध, चीज़ और पनीर पीड़ा और वध से जुड़े हैं, बल्कि पौधे-आधारित दूध, चीज़ और पनीर में ऐसा कुछ नहीं है। ऑनलाइन आपको हर प्रकार का पौधे से बना दूध और चीज़ मिल जायेंगे। खरीदने या बनाने के लिए स्वादिष्ट वीगन चीज़ों की भी बहुतायत है, जिसमें बकरियों और भेड़ों की चीज़ों की नकल करने वाली किस्में भी शामिल हैं। यहां हमारे पसंदीदा में से कुछ हैं:

निष्कर्ष

दूध के लिए पाले जाने वाले सभी जानवर – चाहे वे गाय, भेड़, बकरी, भैंस, या ऊँट हों – व्यावसायिक फार्मों पर कष्ट सहते हैं और अंततः जब उनसे कोई लाभ नहीं रह जाता है तो उनका वध कर दिया जाता है।

हम डेयरी उत्पादों को मांस उद्योग की क्रूरताओं से अलग नहीं कर सकते। जिन शिशुओं के लिए दूध बनाया जाता है उन्हें आम तौर पर मांस के व्यापार में बेच दिया जाता है। इसलिए, भले ही हम जानवरों को न खाने का विकल्प चुनते हैं, फिर भी जब भी हम डेयरी उत्पाद खरीदते हैं और उनका उपभोग करते हैं तो हम उनके जानवरों के वध को बढ़ावा देते हैं और इस क्रूर उद्योग को जानवरों शोषण करने के लिए पैसे देते हैं।

जब दूध और पनीर/चीज़ के इतने सारे पौधे-आधारित विकल्प उपलब्ध हैं, तो जानवरों से बने सभी डेयरी उत्पादों से बचना पहले से कहीं ज्यादा आसान है। क्यों न सभी जानवरों को पीड़ा से भरे जीवन से बचाने का दयालु विकल्प चुना जाए?

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