अंडा उद्योग से सम्बंधित तथ्य और सच्चाई

UK Colony Cage Egg Farm - Credit: Chris Shoebridge

अगर हम अंडों के बारे में कुछ सोचते भी हैं, तो शायद हम इससे अधिक नहीं सोच पाते हैं कि वे बहुत आसानी से दुकान पर मिलने वाला खाद्य पदार्थ हैं, लेकिन यहां हम आपको थोड़ा और गहराई से जानने के लिए आमंत्रित करेंगे, जिसमें हम आपको दुकान में रखे गए उत्पाद की यहाँ तक पहुंचने की सच्चाई बताने की कोशिश करेंगे। जिससे आप, पशुपालन उद्योग में पिंजरों के अंदर भूसे की तरह भरे जानवरों के जीवन पर विचार कर सके।

अगर हमे इस उद्योग के बारे में निष्पक्ष रूप से जानना हैं तो उन बातो से बचना होगा जिनका प्रचार प्रसार अंडे का बाज़ारीकरण करने वाले व्यापारी, लोगो को मूर्ख बनाने के लिए करते हैं। फिर यह वास्तविकता स्पष्ट हो सकती है कि अंडे, वास्तव में, उन मादाओं की प्रजनन सामग्री हैं जिनका औद्योगिक स्तर पर शोषण और दोहन किया जाता है।

अंडा फार्म क्या है?

आधुनिक अंडा फार्मों में हजारों मादा पक्षी – आमतौर पर मुर्गीयों– को कैद में रखा जाता है ताकि वे जो अंडे देते हैं उनकी कुशलता से पैदावार तैयार कर सकें और उन्हें बेच सकें। फार्मिंग उद्योग में कुशलता सर्वोपरि है जिसमे एक एक पैसा बहुत कड़ाई से खर्च किया जाता है। खर्च और मुनाफे के इस वित्तीय तिकड़म/पैंतरेबाज़ी में उन पक्षियों के स्वस्थ जीवन से संबंधित कोई पहलू नहीं होता है, खासकर वे चीजें जो उनके लिए जीवन को सार्थक बनाती हैं। 

हालांकि भारत में कुछ जैविक और पिंजरे-मुक्त फार्म हैं एवं घर के पिछवाड़े में बने फार्म हैं (पारंपरिक पशुपालन), वास्तव में अधिकांश अंडा फार्म बहुत घने और सघन हैं, जिसमे 80 प्रतिशत से अधिक मुर्गिया पिंजरे के अंदर अपना जीवन व्यतीत करती हैं। न तो उन तक सूरज की रोशनी पहुँचती है, न वे ताजी हवा में सांस ले पाते हैं और न ही अपनी चोंच को ”प्राकृतिक धरती” पर रगड़ पाते हैं, वो अपना घोंसला, धूल-मिटटी में लोटना यहाँ तक कि अपना खाना भी खुद नहीं चुन सकते।

पक्षी जिन पिंजरों में रहते हैं वो तार की जाली से बने होते हैं, जिस वजह से अक्सर पक्षियो के पंजे चोटिल हो जाते हैं और ये पिंजरे एक के ऊपर एक,काफी ऊंचाई तक ढेर की तरह रखे होते हैं, जिस वजह से नीचे वाले पिंजरों में पक्षियों के ऊपर लगातार मल-मूत्र गिरता रहता है। उनसे न केवल उनकी आज़ादी छीनी जाती है, बल्कि उनके जीवन की सम्पूर्ण गरिमा को कुचल कर दुख और पीड़ा को उनके जीवन का अभिन्न भाग बना दिया जाता है। जिस दिन वे पिंजरों से निकाल कर मुक्त किए जाते हैं, उसी दिन उनका कत्ल किया जाता है। 

अंडा उत्पादन की प्रक्रिया

अंडा उद्योग में उत्पादन का प्रथम चरण मुर्गिया हैं, अंडा उद्योग विशेष रूप से उन पक्षियों का प्रजनन करता है जो उच्च अंडे की उपज कर सकती हैं। लेकिन हर एक जन्म लेने वाली प्रत्येक मादा चूज़ा, जो अपना पूरा जीवन एक पिंजरे में बिताएगी, उसके साथ ही एक नर चूज़ा भी पैदा होता है।

जो तिरस्कार नर बछड़ों के साथ दूध के उद्योग में होता हैं, उसी प्रकार ये नर चूज़े भी एक अनचाहे उत्पाद से ज़्यादा कुछ नहीं हैं। नर पक्षी अंडे नहीं दे सकते हैं और मांस की बिक्री के लायक उनकी मासपेशियां नहीं बनती तो किसान उन्हें खाना देकर चारा बर्बाद नहीं करते। इसलिए इन प्यारे, खूबसूरत और पीली रुई के गोले जैसे दिखने वाले मासूम चूज़ों को उनके जीवन के पहले ही दिन कूड़े-कचरे की तरह एक जगह समेट कर मारने की तैयारी की जाती है – जिसमें इन मासूमों को एक औद्योगिक कन्वेयर बेल्ट पर छोड़ दिया जाता है ,जो उन सब को एक भयानक मशीन में ले जाकर सचेत अवस्था में ही ज़िन्दा पीस देती है।

विश्व स्तर पर, अंडा उद्योग में हर साल लगभग 600 करोड़ ‘काम में न आने वाले’ नर चूज़ों की भयानक तरीके से हत्या होती हैं, जो भेड़ों की हत्या की संख्या से 10 गुना अधिक है। और अंडे के व्यापार में मरने वालों की इस विशाल संख्या में उन अरबों मुर्गियों को नहीं जोड़ा गया है जो थकने और मानसिक रूप से टूटने की वजह से अधिक अंडो के उत्पादन की मांग को पूरा नहीं कर पाती। अंडे देने वाली मुर्गियां आमतौर पर केवल 18 महीने की होती हैं, जब उन्हें वध करने के लिए ट्रक में ले जाया जाता है और उनके पिंजरों में मुर्गियों के एक नए ढेर को ज़बरदस्ती डाल दिया जाता है।

ये कुछ लोगों की बिल्कुल खुशफहमी है कि अंडा उद्योग में ”जीव हत्या” नहीं होती। 

अंडे आपके लिए अच्छे क्यों नहीं हैं?

तो, यह साफ़ है कि अंडे मुर्गियों के लिए अच्छे नहीं हैं, न ही वे उन नर चूज़ों के लिए अच्छे हैं जो उसी दिन अंडे से बाहर आये हैं, लेकिन वे हमारे लिए भी उतने अच्छे नहीं हैं।

आहार कोलेस्ट्रॉल किस हद तक रक्त कोलेस्ट्रॉल को प्रभावित करता है यह अभी विवादास्पद है, लेकिन हाल के अध्ययनों से पता चला है कि विशेष रूप से पतले और स्वस्थ लोगों में अंडे खाने के बाद एलडीएल कोलेस्ट्रॉल (“खराब कोलेस्ट्रॉल”) में वृद्धि की संभावना अधिक होती है। जो लोग सेहत के लिए अंडे खाते हैं उन्हें ये ध्यान रखना चाहिए।

साथ ही, 2019 में, शोधकर्ताओं ने 30,000 वयस्कों पर 17 साल तक किये गए एक अध्ययन को प्रकाशित किया, जिसमें दिखाया गया कि प्रति दिन खाए गए सिर्फ आधे अंडे से हृदय रोग का जोखिम 6 प्रतिशत और मृत्यु दर 8 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।

हां, अंडे में कुछ उपयोगी पोषक तत्व होते हैं – जैसे कोलीन और ल्यूटिन – लेकिन इन दोनों पोषक तत्वों के साथ-साथ शरीर के लिए आवश्यक सभी दूसरे पोषक तत्व पौधे आधारित आहारमें मिलते हैं, तो कोई भी जोखिम क्यों उठाएगा?

वह तथ्य जो अंडा उद्योग आपसे छिपाता है

सभी प्रकार के अंडा उद्योग में नर चूजों की हत्या कर दी जाती है

अरबों छोटे नर चूज़ों को टुकड़े टुकड़े करके, कुचल कर या दम घोंट कर मौत के घाट उतार दिया जाता है, और यह निश्चित रूप से इस उद्योग का सबसे बड़ा रहस्य है। यह सोचना भी मूर्खता है कि यह सब केवल औद्योगिक फार्म में ही होता है। पिंजरा मुक्त, फ्री-रेंज या ऑर्गेनिक होने के कारण उन नवजात नर पक्षियों को हत्या से नहीं बचाया जाता है।

पक्षी नियमित रूप से भूखे रखे जाते हैं

अमेरिका में कुछ कंपनियां ने “जबरन मोल्टिंग”(मोल्टिंग/निर्मोचन का अर्थ है अपने शरीर को बदलना जैसे साँप केचुली उतरता है वैसे ही पक्षी अपने पंख त्याग कर पंख-रहित हो जाते हैं) की प्रथा आरम्भ की हुई है, जिसे “जानबूझकर भूखे मारना” कहा जाना ज्यादा सही है। जानकारी के अनुसार तीन सप्ताह तक पक्षियों को भूखा रखने के बाद उनको फिर से खाना दिया जाता है, जिस कारण उनके द्वारा दिए गए अंडे, पहले से बड़े व अधिक लाभदायक होते हैं। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि, पक्षी, इतने दिन भूख से किस पीड़ा में तड़पते हैं।जीवित रहने के लिए व्याकुल ये पक्षी, अपने स्वयं के पंख खाने को मजबूर होते हैं, और इस अवधि के दौरान ये एक-दूसरे के प्रति आक्रामक भी हो सकते हैं। यह प्रथा स्पष्ट रूप से अत्यधिक क्रूर है, और पूरे यूरोप में प्रतिबंधित कर दी गई है।

“माँ मुर्गियों” को कभी माँ बनने का मौका नहीं दिया जाता

मुर्गियाँ चूज़ों को पालने के लिए अंडे देती हैं, इसलिए नहीं कि लोगों के पास अपने टोस्ट के साथ खाने के लिए कुछ हो। और हम सभी जानते हैं कि मुर्गियां अच्छी माँ होती हैं। आखिरकार, हम “मदर हेन” शब्द का उपयोग किसी ऐसे का वर्णन करने के लिए करते हैं जो स्वाभाविक रूप से देखभाल और सुरक्षा कि दृष्टि से सर्वोत्तम हो। मुर्गियों में घोंसला बनाने, एकांत में अंडे देने और उन पर बैठने की प्रवृत्ति होती है, और वे अण्डों को तब तक सुरक्षित रखती हैं जब तक कि चूज़े अंडा तोड़ कर बाहर ना आ जाये। यहां तक कि वे अंडे के खोल की दीवार के माध्यम से अपने अनछुए चूजे के साथ संवाद भी करती हैं। सच्चाई यह है कि, पिंजरों में उनके पास अपने अंडों को खुद से छिनते हुए देखने के अलावा कोई विकल्प नहीं होता है और इसके साथ ही वे हर संभावित चूजे को खो देती हैं जिसका वे पालन-पोषण कर सकती हैं।

जितने अधिक अंडे = उतनी अधिक टूटी हड्डियाँ

व्यावसायिक उद्देश्यों से चुनी गई ख़ास मुर्गियों को अधिक संख्या में अंडे देने के लिए विशेष रूप से उनका प्रजनन किया जाता है, क्योंकि इसी तरह से सबसे अधिक पैसा कमाया जाता है। लेकिन प्रत्येक अंडे के छिलके को बहुत अधिक कैल्शियम की आवश्यकता होती है, और मुर्गियाँ अपने आहार में पर्याप्त कैल्शियम नहीं पाती हैं, इसलिए उनके शरीर उनकी हड्डियों से कैल्शियम की आपूर्ति करते हैं। नतीजतन, ऑस्टियोपोरोसिस और टूटी हुई हड्डियां आम बात बन जाती हैं, एक तिहाई पक्षियों में कम से कम एक हड्डी टूटी होती है और ये सब उनको पकड़ कर हत्या के लिए भेजने से पहले ही हो जाता है। टूटे पैरों पर दिन-रात, रोजाना तार की जाली के फर्श पर खड़े होने की कल्पना कीजिये। यह वह कीमत है जो मुर्गियां हमारे अंडों के लिए चुकाती हैं।

मुर्गियों को जानबूझकर विकलांग किया जाता है

मुर्गियों को एक भीड़ भरे पिंजरे में रखा जाता है जिसमें न तो वे अपने पंखों को हिला पाती हैं या फैला पाती हैं, और न तो वे एकांत में घोंसला बना पाती हैं, ऐसे भीड़ से भरे पिंजरे में वे बसने या अंडे देने में असमर्थ होती हैं जो इन पक्षियों के भारी मात्रा में तनाव का कारण बनता है। इसलिए, वे अपनी कुंठाओं को एक-दूसरे पर निकालते हैं, ठीक वैसे ही जैसे अगर हम चार दोस्तों को एक साथ, जीवन भर के लिए एक नैनो जैसी छोटी कार में बंद कर दिया जाये, तो हम दोस्त भी एक दूसरे के ऊपर अपनी कुंठा निकालेंगे। वे तनावग्रस्त पक्षी एक दूसरे को चोंच मारते हैं जिससे चोट लग सकती है। अगर चोटों के कारण अंडो का उत्पादन कम होता है, तो उन पक्षियों को अधिक स्थान, बेहतर जीवन और तनावग्रस्त निराशा से बाहर निकालने के उपाय करने के बजाय, ये निर्मम उद्योग उन्हें अंग-भंग करके विकृत कर देता हैं। अंडे देने वाली मुर्गियों की चोंच के आगे के भाग को एक गर्म ब्लेड की मदद से काट देना बिल्कुल आम कार्य है, जबकि इस प्रक्रिया में ऊतकों और तंत्रिका तंत्र चोटिल हो जाते है, जिसके कारण तेज़ और तीखा दर्द होता है, जो लम्बे समय तक बना रह सकता है

कोई जिंदा नहीं निकलता

लाखों दयालु लोग हैं जो मांस नहीं खाते हैं क्योंकि वे उस प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं जो औद्योगिक पैमाने पर जानवरों को मारती है। वे शायद नहीं जानते – क्योंकि यह उद्योग नहीं चाहता कोई भी इस बारे में जाने – कि अंडे देने वाली हर मुर्गी को भी मार दिया जाता है और उनके बचे हुए शरीर को पाई, सूप और बेबी फ़ूड जैसे निम्न-श्रेणी के उत्पादों में बदल दिया जाता है। उससे उसके बच्चे और अंडे छीनने के बाद, क्या हमे उसे इसी तरह से धन्यवाद कहना चाहिए!?

अंडे में जहर हो सकता है

अंडे कई चेतावनियों के साथ आते हैं जैसे: बिक्री की तारीखों पर विशेष ध्यान दें; चटके हुए अंडों पर ध्यान दे; खरीदने के बाद उन्हें तुरंत फ्रिज में रखे; उन्हें तब तक पकाएं जब तक वे ठोस न हो जाएं; पके हुए अंडों को कमरे के तापमान पर न रखे; अपने हाथ धोएं! आपको गाजर के साथ इस तरह की सलाह नहीं मिलती है। FDA  के अनुसार, साल्मोनेला(जीवाणु -जिसके कारण आंत में संक्रमण हो सकता है ) संक्रमित अंडे खाने से अमेरिका में हर साल होने वाली बीमारियों के लगभग 79,000 मामले होते हैं जिनमे से 30 मौतें हो जाती हैं। हाल ही के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में वाणिज्यिक परत वाली मुर्गियों के लगभग 20 प्रतिशत अंडे साल्मोनेला से दूषित होते हैं, सबसे अधिक संभावना यह है कि वे मल से या गंदे पिंजरों से दूषित होते हैं। यह भी पाया गया कि ये नमूने 4-5 एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोधी थे। ये किसी भी सामान्य अंडे की तरह दिखते है, सभी अंडे एक दूसरे जैसे दिखते हैं, इसलिए अगर आप अंडा खाने के बाद जीवित बच गए तो निश्चित ही आप किस्मत के धनी हैं।

अंडे के उद्योग का विकास

​​सौ साल पहले, अधिकांश भारतीय खेतों पर रहते थे और जो मुर्गियाँ पालते थे, उनके लिए मुर्गियों के अंडे खाना एक स्वाभाविक बात लगती थी। ब्रिटिश शासन से आज़ादी से पहले भोजन चक्र के हिस्से के रूप में जानवरों को खाना काफी हद तक एक निर्वाह गतिविधि थी। 1990 के दशक के अंत में ही पोल्ट्री एक अधिक संगठित गतिविधि बनने लगी, पक्षियों के बड़े झुंड रखे गए और अंडे एक अधिक व्यावसायिक उद्यम के रूप में बेचे गए।

1940 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, दुनिया भर में आयी खाने की कमी ने लोगो को उत्पादकता की ओर मोड़ दिया। कोई भी अंडे की तलाश में अपना समय क्यों बर्बाद करेगा जब वह पक्षियों को पिंजरे में रख कर अंडो का ढेर लगा सकता है? पिंजरे में बंद पक्षियों की अंडे उत्पादन की क्षमता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। आखिरकार, मुर्गियों को अंडे देने के लिए खुश होने की जरूरत नहीं है। इसलिए, जबकि उनके कल्याण को बुरी तरह से नुकसान हुआ, बेहतर पोषण के लिए अंडो का उत्पादन खूब बढ़ा, और उन्हें अब बाहरी दुनिया में रोगजनकों और शिकारियों से दूर रखा गया।  

1960 के दशक तक, लगभग हर कोई इस व्यापार से जुड़ रहा था। खाद्य उत्पादन और विज्ञान ने संयुक्त रूप से पक्षियों को उत्पादकता के नाम पर निचोड़ लिया, जिसकी बहुत बड़ी कीमत पक्षियों ने चुकाई। चारे का विश्लेषण किया गया (“अंडे देने के लिए कम से कम कितने खाने कि ज़रूरत है?”)। प्रकाश का विश्लेषण किया गया (“हम उनसे ज्यादा अंडे लेने के लिए क्या चालाकी कर सकते हैं?”)। और सबसे अधिक उपज देने वाली नस्लों को चुन कर उनसे भी बेहतर उत्पादक नस्ल तैयार की गई ताकि प्रति पक्षी से अंडे का उत्पादन बढ़े और बढ़ता जाये। इस प्रकार उद्योग फलफूल रहा था!

लेकिन इस व्यवस्था में एक गड़बड़ी थी। असल में, इस व्यवस्था में बहुत सारी गड़बड़ी थी, जिनमें से एक का नाम साल्मोनेला एंटरिका था। 1985 तक, अंडे खाने वालों में संक्रमण और मौतों की संख्या CDC के लिए परेशानी का कारण बन गई, इसलिए उन्होंने संक्रमण के इस ”मुख्य” कारण के बारे में जानकारी जुटानी शुरू की, और 1985 और 2003 के बीच 75 प्रतिशत संक्रमण अंडे खाने की वजह से थे।

अमेरिकियों की मौत के बावजूद, और पक्षियों की जान की कीमत पर, अंडो की संख्या और व्यापार तेज़ी से बढ़ता जा रहा था क्युकी यह एक व्यवसाय है और उन्हें केवल अपने मुनाफे की परवाह थी। 1980 के दशक में, मुर्गियाँ अस्वभाविक रूप से सालाना, 25 गुना अधिक यानि, 250 अंडे देती थीं। 1980 के दशक में, मुर्गियाँ अस्वभाविक रूप से सालाना 250 अंडे देती थीं, स्वाभाविक रूप से 25 गुना अधिक। आज, चयनात्मक प्रजनन, कृत्रिम प्रकाश व्यवस्था, और कुछ क्रूर फैसलों की वजह से, मुर्गियाँ लगभग 300 अंडे प्रति वर्ष देती हैं। यह लेन-देन का बहुत अजीब सा, एक तरफा समझौता है, जिसमें हमे जितने अधिक अंडे मिलते हैं, मुर्गियों की उतनी ही ज्यादा हड्डियां टूट जाती हैं।

हाल ही में, उपभोक्ताओं ने अंडा उद्योग में होने वाले कष्ट और पीड़ा की सबसे आम वजह – पिंजरों के खिलाफ आवाज़ उठाना शुरू किया है, लेकिन अधिकांश लोग अभी भी अन्य छिपी हुई क्रूरताओं के बारे में बहुत कम जानते हैं। और जबकि कुछ फार्म्स ने उस मांगो का सम्मान करते हुए, पिंजरा- मुक्त और जैविक फार्मिंग का रुख किया है, हमे लगता है कि किसी भी संवेदनशील प्राणी को पिंजरे में बंद, भूखा और उसको क्षत-विक्षत होने से बचाने के लिए अभी भी बड़ा संघर्ष करना है।

आप क्या कर सकते हैं?

दुख और पीड़ा असहनीय होते हैं, लेकिन यह अटल नहीं है , इसे समाप्त किया जा सकता है । यह केवल इसलिए जारी रहते हैं क्योंकि इन्हे उन लोगों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है जो अंडे खरीदते या खाते हैं। और हमें इस कष्ट को समाप्त करने के लिए बस इसका उपभोग बिलकुल बंद करना है।

अंडे को अपने जीवन से निकालना मुश्किल नहीं है । जब हम खाना बनाते हैं, खरीदारी करते हैं या बाहर खाते हैं तो यह बस थोड़ा अलग विकल्प चुनने के बारे में है।। उदाहरण के लिए, यदि आप केक बनाना चाहते हैं, तो कई बहुत अच्छी वीगन बेकिंग साइट्स हैं, जो स्वादिष्ट अंडा-मुक्त व्यंजनों की विधि, लोगो से बिना किसी शुल्क के साझा करती हैं। आप यहाँ से शुरू कर सकते हैं!

अगर आपको सुबह में अंडा भुर्जी  पसंद हैं, तो टोफू भुर्जी का सेवन करें। यह प्रोटीन से भरपूर है, स्वादिष्ट है और आपको पूरे दिन ऊर्जावान रखेगा। और इससे आप ”साल्मोनेला” जैसे घातक जीवाणु से भी बचेंगे।

निष्कर्ष

मुर्गियाँ अद्भुत प्राणी हैं – वे बुद्धिमान और चतुर होने के साथ साथ खेल-कूद को पसंद करने वाली, अद्भुत व्यक्तित्व की स्वामी हैं , लेकिन अभी वे पृथ्वी पर सबसे अधिक दुर्व्यवहार और कष्ट सहने वाले प्राणियों में से एक हैं । बेहिसाब संख्या में हम उन्हें कैद करते हैं, उन्हें विकृत करते हैं, उन्हें भूखा रखते हैं, उनकी प्राकर्तिक आदतों पर पाबन्दी लगा कर, उन्हें पीड़ित होने के लिए छोड़ देते हैं, और फिर, जब वे हमारे किसी काम की नहीं रहती तो हम निष्पक्ष रूप से उन्हें उनके वध के लिए भेजते हैं।  

हम इससे बेहतर बन सकते हैं। हम एक करुणामय जीवन जीना चुन सकते हैं।

और वास्तव में आश्चर्यजनक बात यह है कि जब हम जानवरों को (या उनके स्राव और मलत्याग) न खाकर उन पर दया करते हैं, तो हम हमारी पृथ्वी के प्रति भी महान दया कर रहे हैं, और अपने शरीर के प्रति भी।

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